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100%: Premchand: Panch Parmeshwar (Hindi Edition) (ISBN: 9789380300108) 2015, Rajpal & Sons, in Deutsch, Taschenbuch.
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100%: Premchand: Panch-Parmeshwar (पंच-परमेश्वर) (ISBN: 9788180320620) 2015, auch als eBook.
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Preise | Sep. 17 | Nov. 17 | Mai 20 |
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1
Panch-Parmeshwar (पंच-परमेश्वर) (2015)
NW
ISBN: 9788180320620 bzw. 8180320626, Sprache unbekannt, Global Digital Press, neu.
Lieferung aus: Niederlande, Direct beschikbaar.
bol.com.
जुम्मन शेख और अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गए थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गए थे और अलगू जब कभी बाहर जाते तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ देते थे। उनमें न खान-पान का व्यवहार था, न धर्म का नाता; केवल विचार मिलते थे। मित्रता का मूल मंत्र भी यही है। इस मित्रता का जन्म उसी समय हुआ, जब दोनों मित्र बालक ही थे; और जुम्मन के पूज्य पिता जुमराती उन्हें शिक्षा प्रदान करते थे। अलगू ने गुरुजी की बहुत सेवा की थी, ख... जुम्मन शेख और अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गए थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गए थे और अलगू जब कभी बाहर जाते तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ देते थे। उनमें न खान-पान का व्यवहार था, न धर्म का नाता; केवल विचार मिलते थे। मित्रता का मूल मंत्र भी यही है। इस मित्रता का जन्म उसी समय हुआ, जब दोनों मित्र बालक ही थे; और जुम्मन के पूज्य पिता जुमराती उन्हें शिक्षा प्रदान करते थे। अलगू ने गुरुजी की बहुत सेवा की थी, ख़ूब रकाबियाँ माँजी, ख़ूब प्याले धोए। उनका हुक्का एक क्षण के लिए भी विश्राम न लेने पाता था, क्योंकि प्रत्येक चिलम अलगू को आध घंटे तक किताबों से अलग कर देती थी। अलगू के पिता पुराने विचारों के मनुष्य थे। उन्हें शिक्षा की विद्या की अपेक्षा गुरु की सेवा-शुश्रूषा पर अधिक विश्वास था। वह कहते थे कि विद्या पढ़ने से नहीं आती, जो कुछ होता है, गुरु के आशीर्वाद से। बस गुरुजी की कृपा-दृष्टि चाहिए। अतएव यदि अलगू पर जुमराती शेख के आशीर्वाद अथवा सत्संग का कुछ फल न हुआ, तो यह मानकर संतोष कर लेगा कि विद्योपार्जन में मैंने यथाशक्ति कोई बात उठा नहीं रखी, विद्या उसके भाग्य ही में न थी तो कैसे आती? मगर जुमराती शेख स्वयं आशीर्वाद के कायल न थे। उन्हें अपने सोटे पर अधिक भरोसा था, और उसी सोटे के प्रताप से आज आस-पास के गाँवों में जुम्मन की पूजा होती थी। उनके लिखे हुए रेहननामे या बैनामे पर कचहरी का मुहर्रिर भी कलम न उठा सकता था। हलके का डाकिया, कांस्टेबल और तहसील का चपरासी—सब उनकी कृपा की आकांक्षा रखते थे। अतएव अलगू का मान उनके धन के कारण था, तो जुम्मन शेख अपनी अनमोल विद्या से ही सबके आदरपात्र बने थे। प्रेमचंद की मशहूर कहानियाँ (Search the book by ISBN) 01. ईदगाह (ISBN: 9788180320606) 02. पूस की रात (ISBN: 9788180320613) 03. पंच-परमेश्वर (ISBN: 9788180320620) 04. बड़े घर की बेटी (ISBN: 9788180320637) 05. नमक का दारोगा (ISBN: 9788180320651) 06. कजाकी (ISBN: 9788180320644) 07. गरीब की हाय (ISBN: 9788180320668) 08. शतरंज के खिलाड़ी (ISBN: 9788180320675) 09. सुजान भगत (ISBN: 9788180320729) 10. रामलीला (ISBN: 9788180320682) 11. धोखा (ISBN: 9788180320699) 12. जुगनू की चमक (ISBN: 9788180320736) 13. बेटों वाली विधवा (ISBN: 9788180320743) 14. दो बैलों की कथा (ISBN: 9788180320750) 15. बड़े भाई साहब (ISBN: 9788180320705) 16. घरजमाई (ISBN: 9788180320767) 17. दारोगाजी (ISBN: 9788180320774) 18. कफ़न (ISBN: 9788180320781) 19. बूढ़ी काकी (ISBN: 9788180320798) 20. दो भाई (ISBN: 9788180320712)Taal: hi;Formaat: ePub met kopieerbeveiliging (DRM) van Adobe;Kopieerrechten: Het kopiëren van (delen van) de pagina's is niet toegestaan ;Geschikt voor: Alle e-readers geschikt voor ebooks in ePub formaat. Tablet of smartphone voorzien van een app zoals de bol.com Kobo app.;Geschikt voor: 14 - 21 jaar;Verschijningsdatum: juli 2015;ISBN10: 8180320626;ISBN13: 9788180320620; Ebook | 2015.
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जुम्मन शेख और अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गए थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गए थे और अलगू जब कभी बाहर जाते तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ देते थे। उनमें न खान-पान का व्यवहार था, न धर्म का नाता; केवल विचार मिलते थे। मित्रता का मूल मंत्र भी यही है। इस मित्रता का जन्म उसी समय हुआ, जब दोनों मित्र बालक ही थे; और जुम्मन के पूज्य पिता जुमराती उन्हें शिक्षा प्रदान करते थे। अलगू ने गुरुजी की बहुत सेवा की थी, ख... जुम्मन शेख और अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गए थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गए थे और अलगू जब कभी बाहर जाते तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ देते थे। उनमें न खान-पान का व्यवहार था, न धर्म का नाता; केवल विचार मिलते थे। मित्रता का मूल मंत्र भी यही है। इस मित्रता का जन्म उसी समय हुआ, जब दोनों मित्र बालक ही थे; और जुम्मन के पूज्य पिता जुमराती उन्हें शिक्षा प्रदान करते थे। अलगू ने गुरुजी की बहुत सेवा की थी, ख़ूब रकाबियाँ माँजी, ख़ूब प्याले धोए। उनका हुक्का एक क्षण के लिए भी विश्राम न लेने पाता था, क्योंकि प्रत्येक चिलम अलगू को आध घंटे तक किताबों से अलग कर देती थी। अलगू के पिता पुराने विचारों के मनुष्य थे। उन्हें शिक्षा की विद्या की अपेक्षा गुरु की सेवा-शुश्रूषा पर अधिक विश्वास था। वह कहते थे कि विद्या पढ़ने से नहीं आती, जो कुछ होता है, गुरु के आशीर्वाद से। बस गुरुजी की कृपा-दृष्टि चाहिए। अतएव यदि अलगू पर जुमराती शेख के आशीर्वाद अथवा सत्संग का कुछ फल न हुआ, तो यह मानकर संतोष कर लेगा कि विद्योपार्जन में मैंने यथाशक्ति कोई बात उठा नहीं रखी, विद्या उसके भाग्य ही में न थी तो कैसे आती? मगर जुमराती शेख स्वयं आशीर्वाद के कायल न थे। उन्हें अपने सोटे पर अधिक भरोसा था, और उसी सोटे के प्रताप से आज आस-पास के गाँवों में जुम्मन की पूजा होती थी। उनके लिखे हुए रेहननामे या बैनामे पर कचहरी का मुहर्रिर भी कलम न उठा सकता था। हलके का डाकिया, कांस्टेबल और तहसील का चपरासी—सब उनकी कृपा की आकांक्षा रखते थे। अतएव अलगू का मान उनके धन के कारण था, तो जुम्मन शेख अपनी अनमोल विद्या से ही सबके आदरपात्र बने थे। प्रेमचंद की मशहूर कहानियाँ (Search the book by ISBN) 01. ईदगाह (ISBN: 9788180320606) 02. पूस की रात (ISBN: 9788180320613) 03. पंच-परमेश्वर (ISBN: 9788180320620) 04. बड़े घर की बेटी (ISBN: 9788180320637) 05. नमक का दारोगा (ISBN: 9788180320651) 06. कजाकी (ISBN: 9788180320644) 07. गरीब की हाय (ISBN: 9788180320668) 08. शतरंज के खिलाड़ी (ISBN: 9788180320675) 09. सुजान भगत (ISBN: 9788180320729) 10. रामलीला (ISBN: 9788180320682) 11. धोखा (ISBN: 9788180320699) 12. जुगनू की चमक (ISBN: 9788180320736) 13. बेटों वाली विधवा (ISBN: 9788180320743) 14. दो बैलों की कथा (ISBN: 9788180320750) 15. बड़े भाई साहब (ISBN: 9788180320705) 16. घरजमाई (ISBN: 9788180320767) 17. दारोगाजी (ISBN: 9788180320774) 18. कफ़न (ISBN: 9788180320781) 19. बूढ़ी काकी (ISBN: 9788180320798) 20. दो भाई (ISBN: 9788180320712)Taal: hi;Formaat: ePub met kopieerbeveiliging (DRM) van Adobe;Kopieerrechten: Het kopiëren van (delen van) de pagina's is niet toegestaan ;Geschikt voor: Alle e-readers geschikt voor ebooks in ePub formaat. Tablet of smartphone voorzien van een app zoals de bol.com Kobo app.;Geschikt voor: 14 - 21 jaar;Verschijningsdatum: juli 2015;ISBN10: 8180320626;ISBN13: 9788180320620; Ebook | 2015.
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Panch-Parmeshwar ( - ) (2015)
EN NW EB DL
ISBN: 9788180320620 bzw. 8180320626, in Englisch, Global Digital Press, Global Digital Press, Global Digital Press, neu, E-Book, elektronischer Download.
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, - , ; , ; , - , - , ? , - , - , (Search the book by ISBN)01. (ISBN: 9788180320606)02. (ISBN: 9788180320613)03. - (ISBN: 9788180320620)04. (ISBN: 9788180320637)05. (ISBN: 9788180320651)06. (ISBN: 9788180320644)07. (ISBN: 9788180320668)08. (ISBN: 9788180320675)09. (ISBN: 9788180320729)10. (ISBN: 9788180320682)11. (ISBN: 9788180320699)12. (ISBN: 9788180320736)13.
, - , ; , ; , - , - , ? , - , - , (Search the book by ISBN)01. (ISBN: 9788180320606)02. (ISBN: 9788180320613)03. - (ISBN: 9788180320620)04. (ISBN: 9788180320637)05. (ISBN: 9788180320651)06. (ISBN: 9788180320644)07. (ISBN: 9788180320668)08. (ISBN: 9788180320675)09. (ISBN: 9788180320729)10. (ISBN: 9788180320682)11. (ISBN: 9788180320699)12. (ISBN: 9788180320736)13.
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Panch Parmeshwar (Hindi Edition) (2015)
DE PB NW
ISBN: 9789380300108 bzw. 9380300107, in Deutsch, 32 Seiten, Rajpal & Sons, Taschenbuch, neu.
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Rajpal & Sons, Taschenbuch, Publiziert: 2015-01-01T00:00:01Z, Produktgruppe: Book.
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